लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती दलितों के लिए कितनी मरी जाती हैं, यह बात तो सारी दुनिया जानती है। लेकिन उनके इतने त्याग के बावजूद आज हालत ये हो गयी है कि राज्यसभा चुनाव में उनकी पार्टी के अकेले कैंडीडेट के जीतने के भी लाले पड़ गये हैं। इस बात से बहनजी बहुत दुखी हैं।

राज्यसभा इलेक्शन में अपने एक विधायक की क्रॉस वोटिंग के बाद बहनजी आज मीडिया के साथ अपना दुखड़ा शेयर कर रही थीं। उन्होंने डायस पर रखी पर्ची पढ़ते हुए कहा, “अगर मैं राज्यसभा के लिए नहीं चुनी गयी तो फिर इस देश के दलितों का क्या होगा? फिर मेरे दलित भाई-बहनों की देखभाल कौन करेगा?”
“लेकिन जब आप सत्ता में थीं, तब तो आपने दलितों के लिए कोई कोई काम नहीं किया…!” -एक रिपोर्टर के इतना कहते ही बहनजी बिफ़र गयीं और बिना पर्ची में देखे ही बोलने लगीं। इस चक्कर में उनसे काफ़ी फ़म्बल हो गया।
“क्या कहा? मैंने अपने दलितों के लिये कुछ नहीं किया! क्या तुमने मेरे और हाथी के स्टेच्यू नहीं देखे क्या?” -उन्होंने रिपोर्टर की तरफ़ आँखें निकालते हुए कहा। “लेकिन मूर्तियों से क्या फ़ायदा होता है बहनजी?” -रिपोर्टर ने फिर दुस्साहस किया।
“ये एंटी-दलित है! बाहर निकालो इसे!” -बहनजी ने सिक्योरिटी गार्ड्स को इशारा किया, जो तुरंत रिपोर्टर को उठाकर ले गये। इसके बाद बहनजी ने पानी पीया और फिर से अपनी स्पीच कन्टीन्यू की।
“जब मेरे दलित भाई-बहन मेरा और हाथी का स्टेच्यू देखते हैं तो वे अपने सारे दुख भूल जाते हैं। उन्हें लगता है…उन्हें लगता है कि एक दिन वो भी…।” कहते-कहते बहनजी इमोशनल हो गयीं और अपने पाँच लाख रुपये के हैंडबैग से रुमाल निकालकर आँखें पोंछने लगीं और प्रेस कॉन्फ्रेंस वहीं रद्द हो गयी।